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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 23 जुलाई 2024 (10:17 IST)

Azad Birth Anniversay : चंद्रशेखर आज़ाद का जन्मदिन आज, जानें 10 अनसुनी बातें

Azad Birth Anniversay : चंद्रशेखर आज़ाद का जन्मदिन आज, जानें 10 अनसुनी बातें - Chandra Shekhar Azad Birth Anniversay
HIGHLIGHTS
 
चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था। 
स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद।
लोकप्रिय सेनानी के रूप में जानें जाते हैं चंद्रशेखर आजाद।
Life of Chandrashekhar Azad : आज चंद्रशेखर आजाद की जयंती है। आजाद की गिनती भारत के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानियों में की जाती हैं, जिन्होंने मात्र छोटी-सी उम्र में सबकुछ त्याग कर आजादी के आंदोलन में भाग लिया था। 
 
आइए यहां जानते हैं उनके बारे में 10 खास बातें....
 
1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को पंडित सीताराम तिवारी और श्रीमती जगरानी देवी के यहां भाबरा (झाबुआ, मध्यप्रदेश) में हुआ था। वह स्थान अब 'आजादनगर' के रूप में जाना जाता है। 
 
2. उनके पिता पंडित सीताराम तिवारी ईमानदार, स्वाभिमानी, साहसी और वचन के पक्के थे। यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे।
 
3. चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया। उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई। हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, 'वंदे मातरम्' और 'महात्मा गांधी की जय' का स्वर बुलंद किया। 
 
4. इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए। जब क्रांतिकारी आंदोलन उग्र हुआ, तब आजाद उस तरफ खिंचे और 'हिन्दुस्तान सोशलिस्ट आर्मी' से जुड़े। रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र (1925) में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए।
 
5. 17 दिसंबर, 1928 को चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया और ज्यों ही जे.पी. साण्डर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकले तो राजगुरु ने पहली गोली दाग दी, जो साण्डर्स के माथे पर लग गई वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा। फिर भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया। जब साण्डर्स के अंगरक्षक ने उनका पीछा किया, तो चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे भी समाप्त कर दिया।
 
6. इतना ना ही नहीं लाहौर में जगह-जगह परचे चिपका दिए गए, जिन पर लिखा था- लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला ले लिया गया है। उनके इस कदम को समस्त भारत के क्रांतिकारियों खूब सराहा गया।
 
7. चंद्रशेखर आजाद ने सन् 1931 में अलफ्रेड पार्क, इलाहाबाद में रूस की बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर समाजवादी क्रांति का आह्वान किया। 
 
8. चंद्रशेखर आजाद ने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी, 1931 को इसी पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी। इस तरह चंद्रशेखर आजाद के रूप में देश का एक महान क्रांतिकारी योद्धा देश की आजादी के लिए अपना बलिदान देकर शहीद हो गया। 
 
9. ऐसे वीर क्रांतिकारी चंद्रशेखर का नाम मन में आते ही अपनी मूंछों को ताव देता वह नौजवान आंखों के सामने जाता है जिसे पूरी दुनिया 'आजाद' के नाम से जानती है। उनके बारे में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- 'चंद्रशेखर आजाद की शहादत से पूरे देश में आजादी के आंदोलन का नए रूप में शंखनाद होगा। आजाद की शहादत को हिन्दोस्तान हमेशा याद रखेगा।' वहीं मुहम्मद अली जिन्ना ने यह कहते हुए श्रद्धांजलि दी थी कि- 'देश ने एक सच्चा सिपाही खो दिया।'
 
10. चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने कहा था- 'चंद्रशेखर की मृत्यु से मैं आहत हूं। ऐसे व्यक्ति युग में एक बार ही जन्म लेते हैं। फिर भी हमें अहिंसक रूप से ही विरोध करना चाहिए।' ऐसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक एवं लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें नमन।

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