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Written By BBC Hindi
Last Updated : बुधवार, 7 अप्रैल 2021 (10:59 IST)

कोरोना वैक्सीन लगवाने की उम्र सीमा तुरंत क्यों नहीं हटा रही मोदी सरकार?

Corona vaccine | कोरोना वैक्सीन लगवाने की उम्र सीमा तुरंत क्यों नहीं हटा रही मोदी सरकार?
(सरोज सिंह, बीबीसी संवाददाता)
 
कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए भारत सरकार को अपने नियमों में अब थोड़ा और बदलाव करना चाहिए। इसकी मांग कई राज्य सरकारों की तरफ़ से उठ रही है। महाराष्ट्र सरकार ने इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर 25 साल से ऊपर सभी को कोरोना का टीका लगवाने की इजाज़त मांगी है।
 
वहीं दिल्ली की सत्ता पर क़ाबिज़ आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं कि क्या भारत सरकार के लिए पाकिस्तान के लोगों की जान की क़ीमत, भारत के लोगों की जान की क़ीमत से ज़्यादा है। उनका इशारा वैक्सीन निर्यात के फ़ैसले को लेकर था।
 
इसी तरह की गुहार राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर रघु शर्मा ने भी केंद्र सरकार से लगाई है। उन्होंने सोमवार को कहा, 'प्रदेश में जिस तेज़ी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, केंद्र सरकार तुरंत कोरोना वैक्सीनेशन के लिए आयुसीमा को हटाएं जिससे कम समय में अधिक लोगों का टीकाकरण कर संक्रमण के फैलाव को रोका जा सके।'
 
ग़ौर करने वाली बात ये है कि इन तीनों राज्यों में ग़ैर-बीजेपी पार्टी की सरकार है। इसके अलावा मंगलवार को ऐसी ही मांग इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी की। आईएमए ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर सुझाव दिया है कि 18 साल से ऊपर के सभी भारतीयों को कोरोना वैक्सीन लगवाने की इजाज़त सरकार को दे देना चाहिए।
 
जब अलग-अलग क्षेत्रों से इतनी मांग उठ रही है, तो आख़िर मोदी सरकार इस पर फ़ैसला तुरंत क्यों नहीं ले रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने संवाददाता सम्मेलन में इसका जवाब भी दिया।
 
उन्होंने कहा, 'विश्व में हर जगह ज़रूरत के आधार पर पहले टीकाकरण किया गया है, ना कि लोगों के चाहत के आधार पर।' इसके लिए उन्होंने दुनिया के कई देशों जैसे ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया का उदाहरण भी दिया और बताया कि हर देश ने चरणबद्ध तरीक़े से उम्र सीमा के साथ टीकाकरण अभियान की शुरुआत की। लेकिन फिर भी लोग सवाल उठा रहे हैं- कोरोना वैक्सीन लगवाने के लिए मोदी सरकार उम्र सीमा को फ़िलहाल क्यों नहीं हटा सकती?
 
डॉक्टर सुनीला गर्ग मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के हेड हैं।
यही समझने के लिए हमने बात की डॉक्टर सुनीला गर्ग से। डॉक्टर सुनीला गर्ग मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के हेड हैं। उम्र के हिसाब से टीकाकरण अभियान की शुरुआत को वो सही ठहराती है। सरकार के फैसले के पीछे वो तर्क भी देती हैं।
 
पहला तर्क: सबके चक्कर में ज़रूरतमंद कहीं छूट ना जाएं
 
आंकड़े बताते हैं कि कोरोना महामारी 45+ की उम्र सीमा वालों के लिए ज़्यादा ख़तरनाक रही है। अगर 18+ की उम्र वालों के लिए अभी इजाज़त दे दी जाती है तो कहीं ऐसा ना हो कि कम उम्र वाले वैक्सीन पहले लगवा लें और ज़्यादा उम्र वालों वाले ना लगवा पाएं। कहीं ऐसा ना हो कि सरकार फिर आगे चल कर उनको वैक्सीन दे ही ना पाए। अगर ऐसा हुआ तो कोरोना से होने वाली मौतें भी बढ़ सकती हैं।
 
दूसरा तर्क: वैक्सीन नई है, घर-घर जाकर वैक्सीन नहीं लगाया जा सकता
 
ये पहला मौक़ा है कि कोविड-19 की वैक्सीन रिकॉर्ड समय में तैयार हुई है। इसके कुछ एडवर्स इफे़क्ट भी हैं। अभी तक कोई बड़ी अनहोनी की ख़बर भारत में नहीं हुई है। लेकिन आगे भी एहतिहात बरतने की ज़रूरत है। इसलिए घर-घर जा कर या फिर रेलवे स्टेशन पर बूथ बनाकर इसे नहीं दिया जा सकता। ये दूसरी बड़ी वजह है कि भारत सरकार लोगों के सहयोग पर ही टीकाकरण के लिए निर्भर है।
 
तीसरा तर्क: वैक्सीन हेज़िटेंसी से निपटना
 
शुरुआत में लोगों में वैक्सीन लगवाने को लेकर काफ़ी हिचक दिखी। इसलिए कई लोगों ने यहां तक कि डॉक्टर और फ़्रंटलाइन वर्कर्स ने भी वैक्सीन नहीं लगाई। अब जब डॉक्टर्स के लिए रजिस्ट्रेशन बंद हो गया है तो कई डॉक्टर अब वैक्सीन लगवाने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं।
 
ऐसी नौबत 45 साल से ऊपर वाले लोगों में ना आए, इसलिए थोड़ा और समय उन्हें देने की ज़रूरत है। जनवरी से ही टीकाकरण शुरू हुआ और अब तक 3 महीने भी पूरे नहीं हुए हैं।
 
चौथा तर्क: मॉनिटरिंग करना मुश्किल होगा
 
भारत में आबादी ज़्यादा है। सरकार का टारगेट है 80 करोड़ लोगों के टीकाकरण का। इसके लिए 160 करोड़ डोज़ की ज़रुरत होगी। सभी लोगों को टीका लगवाने के लिए प्राइवेट सेक्टर की मदद भी चाहिए होगी। ऐसी सूरत में मॉनिटरिंग की समस्या आ सकती है।
 
कोरोना नई बीमारी है, अभी केंद्र सरकार ही सब कुछ संचालित कर रही है। उम्र सीमा हटा देने पर केंद्र सरकार के लिए मॉनिटरिंग में दिक़्क़त आ सकती है।
 
पांचवां तर्क: कम उम्र वालों के लिए मास्क ही है वैक्सीन
 
एक तर्क ये भी दिया जा रहा है कि सरकार उस उम्र को वैक्सीन लगा रही है, जो घरों पर बैठे हैं। 18 साल से ऊपर और 45 साल से नीचे की उम्र वाले ही ज़्यादा कोरोना फैला रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए तर्क ये है कि कम उम्र वाले ये समझें कि उनके लिए मास्क ही वैक्सीन है।
 
सोशल डिस्टेंसिंग उनके लिए ज़रूरी है। साबुन से हाथ धोने की आदत उन्हें नहीं छोड़नी चाहिए। वैसे भी वैक्सीन 100 फ़ीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।
 
छठा तर्क: वैक्सीन नेश्नलिज़्म और कोवैक्स दोनों का साथ-साथ चलना ज़रूरी
 
भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है। इस वजह से भारत की अपनी कुछ ज़िम्मेदारियां भी हैं। भारत कोवैक्स प्रक्रिया(ज़रुरतमंदों के लिए वैक्सीन पहले) में हिस्सेदार है। साथ ही भारत ने सामाजिक दायित्व के तौर पर वैक्सीन दूसरे देशों को बांटा। लेकिन केंद्र सरकार देश की जनता की सेहत को ताक पर रख कर कुछ नहीं कर रही।
 
फ़िलहाल सरकार देशवासियों की ज़रूरत पूरी करने पर ध्यान दे रही है। वैसे पूरे भारत के लिए एक या 2 वैक्सीन काफ़ी नहीं है। छह और वैक्सीन को भारत में इजाज़त देने की बात चल रही है। जैसे ही उनको मंजूरी मिल जाएगी, भारत अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी को भी एक बार फिर निभा पाएगा।
 
डॉक्टर सुनीला ने उम्मीद जताई कि भारत में अगले चरण में 30 साल से ऊपर के लोगों के लिए वैक्सीन लगवाने की इजाज़त दे दी जाएगी। लेकिन कुछ राज्य सरकारें तत्काल प्रभाव से 18 से ऊपर के आयु वर्ग के लिए, तो कुछ 25 से ऊपर के आयुवर्ग के लिए वैक्सीन लगवाने की मांग कर रहे हैं। ऐसी सलाह के पीछे क्या तर्क हैं?
 
इसके लिए हमने बात की मुंबई के जसलोक अस्पताल के मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर डॉक्टर राजेश पारेख से। उन्होंने 'दि कोरोनावायरस बुक' 'दि वैक्सीन बुक' नाम से किताब भी लिखी है। आईए जानते हैं कि उनके क्या तर्क हैं।

 
पहला तर्क: कोरोना के दूसरी लहर से निपटने के लिए ज़रूरी है उम्र सीमा हटे
 
कोरोना की दूसरी लहर भारत के कुछ राज्यों में आ चुकी है और पहली लहर के मुक़ाबले अब कोरोना तेज़ी से फैल रहा है। सीरो-सर्वे में पता चला कि कुछ इलाक़ों में लोगों के अंदर कोरोना के ख़िलाफ़ एंटी बॉडी ज़्यादा हैं और कुछ इलाक़ों में कम।
 
जहां लोगों में एंटीबॉडी कम है, वहां हॉट स्पॉट बनने का ख़तरा ज़्यादा है। इस वजह से उन इलाक़ों में सभी आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन की इजाज़त सरकार को अब देनी चाहिए। इससे दूसरी लहर पर क़ाबू जल्द पाया जा सकता है।
 
दूसरा तर्क: वैक्सीनेशन टारगेट जल्द पूरा कर पाएंगे
 
भारत सरकार ने पहले चरण में हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को टीका लगाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन 3 महीने बाद वो भी पूरा नहीं हुआ है। भारत में केवल 5 फ़ीसदी आबादी को ही वैक्सीन लग पाई है। जबकि ब्रिटेन में 50 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। इसराइल में भी वैक्सीनेशन की रफ़्तार अच्छी है। इस वजह से वहां मामले कंट्रोल में भी हैं। भारत को ऐसे देशों से सीखना चाहिए।
 
फ़िलहाल जिस रफ़्तार से भारत में वैक्सीन लग रही है, सभी लोगों को टीका लगने में 3 साल का वक़्त लग सकता है। उम्र की सीमा हटा कर इस समय सीमा को और कम किया जा सकता है।
 
तीसरा तर्क: वैक्सीन बर्बादी पर रोक
 
भारत सरकार ने ख़ुद राज्य सरकारों के साथ बैठक में माना है कि वैक्सीन ना लग पाने की वजह से कुछ वैक्सीन बर्बाद हो रहे हैं। आंकड़ों की बात करें तो सात फ़ीसदी वैक्सीन भारत में इस वजह से बर्बाद हो रही है। अगर उम्र सीमा हटा दी जाए इस बर्बादी को रोका जा सकता है।
 
हालांकि डॉक्टर सुनीला कहतीं हैं, 'वैक्सीन की बर्बादी को बहुत हद तक वॉक-इन वैक्सीनेशन से कम करने की कोशिश की गई है। इसे और कम करने के लिए निर्माताओं को वैक्सीन के छोटे पैक बनाने होंगे। आज अगर बीस डोज़ का पैक आ रहा है तो ज़रूरत है इसे 5 डोज़ का बनाने की।
 
चौथा तर्क: दूसरी लहर में टीकाकरण अभियान रूक ना जाए
 
डॉक्टर पारेख बताते हैं कि इसराइल में 2 महीने पहले ऐसी नौबत आई थी, जब वहां दूसरी लहर के बीच एक से 2 दिन के लिए टीकाकरण अभियान को रोकना पड़ा था। भारत में जिस तेज़ी से मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए ऐसी नौबत नहीं आने देना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। इसलिए भारत को इसराइल से सबक़ लेना चाहिए।
 
पांचवां तर्क: दूसरे देशों से सबक़ ले भारत
 
अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में जहां वैक्सीन लगाने की रफ़्तार तेज़ है और आबादी के एक बड़े हिस्से को टीका लग चुका है वहां कोरोना की लहर धीरे-धीरे कम हो रही है। इस वजह से भारत सरकार की अपनी रणनीति पर दोबारा से विचार करना चाहिए।
 
दो हफ़्ते पहले तक भारत ने जितने डोज़ अपने नागरिकों को लगाए थे, उससे ज़्यादा दूसरे देशों की मदद के लिए भेजा था। तब ये रणनीति ठीक थी। एक आदमी से शुरु हुई महामारी आज विश्व में इस स्तर पर पहुंच गई है। इसलिए भी टीकाकरण अभियान को जल्द से जल्द विस्तार देने की ज़रूरत है।
 
ग़ौरतलब है कि मंगलवार को केंद्र सरकार ने बताया कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में भी कोविड-19 बीमारी के ख़तरे को देखते हुए ही टीकाकरण अभियान चलाया गया है।
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