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Written By BBC Hindi
Last Updated : शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2024 (09:45 IST)

मनमोहन सिंह पर हमलावर रहने वाले पीएम मोदी ने उनकी प्रशंसा क्यों की?

मनमोहन सिंह पर हमलावर रहने वाले पीएम मोदी ने उनकी प्रशंसा क्यों की? - Why did PM Modi, who attacked Manmohan Singh, praise him?
पहले वित्तमंत्री और बाद में प्रधानमंत्री बने मनमोहन सिंह की राज्यसभा से विदाई के मौक़े पर गुरुवार को नेताओं ने उनके योगदान को याद किया। इस दौरान सांसदों ने भारत की अर्थव्यवस्था में मनमोहन सिंह के योगदान को याद किया और कहा कि ईमानदारी और सच्चाई उनका मूल गुण रहा था। मनमोहन सिंह अब 91 साल के हो चुके हैं।
 
पीएम मोदी ने भी मनमोहन सिंह की जमकर प्रशंसा की। मोदी की प्रशंसा को भारत के प्रमुख अख़बारों ने प्रमुखता से जगह दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा, 'वो 6 बार सासंद रहे, उन्होंने 'लीडर ऑफ़ द हाउस' और विपक्ष के नेता के तौर पर सदन के कामकाज़ में अमूल्य योगदान दिया।'
 
इससे पहले पीएम मोदी मनमोहन सिंह पर हमलावर रहे हैं।
 
फ़रवरी 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने मनमोहन सिंह पर तीखा हमला बोलते हुए कहा था, 'हिन्दुस्तान में पिछले 30-35 साल के आर्थिक निर्णयों में मनमोहन सिंह का सीधा संबंध रहा है। आर्थिक जगत के फ़ैसलों में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसका इतना दबदबा रहा हो। कितने घोटालों की बातें आई लेकिन राजनेताओं को डॉ. साहब से बहुत कुछ सीखने जैसा है। इतना सारा हुआ लेकिन उन पर एक दाग नहीं लगा। बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाने की कला तो डॉ. साहब ही जानते हैं और कोई नहीं जानता है।'
 
तब मनमोहन सिंह राज्यसभा में ही बैठे थे। उन्होंने पीएम मोदी की इस टिप्पणी पर कुछ प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया था। संसद में मनमोहन सिंह का कार्यकाल 33 साल लंबा रहा। अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह ने बतौर वित्तमंत्री देश में आर्थिक सुधारों की पहल की, बाद में बतौर पीएम उन्होंने कई सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं शुरू कीं।
 
राज्यसभा की वेबसाइट के अनुसार मनमोहन सिंह का 6ठा कार्यकाल 3 अप्रैल को ख़त्म होना है, लेकिन इस सप्ताह बजट सत्र के बाद सासंदों ने अपना कार्यकाल पूरा कर रहे 68 सांसदों को अलविदा कहा।
 
मोदी ने क्या कहा?
 
बीते सालों में कई बार मनमोहन सिंह को लेकर तीखी टिप्पणी कर चुके पीएम मोदी ने कहा कि एक सांसद के तौर पर मनमोहन सिंह दूसरों के लिए मिसाल हैं।
 
उन्होंने कहा, 'हमारे बीच वैचारिक मतभेद बने हुए हैं। सदन और देश का मार्गदर्शन करने वाले मनमोहन सिंह हमारे देश के लोकतंत्र की हर चर्चा में शामिल रहेंगे।'
 
मोदी ने कहा कि हाल में जब राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण बिल पर वोटिंग हो रही थी, ये सभी को पता था कि बहुमत होने के कारण वोटिंग का नतीजा सरकार के पक्ष में रहेगा, लेकिन इसके बावजूद मनमोहन सिंह एक व्हीलचेयर पर सदन में आए थे।
 
मोदी ने कहा, 'वो एक सांसद के तौर पर अपना कर्तव्य पूरा कर रहे थे। मैं मानता हूं कि गणतंत्र को मज़बूती देने के लिए वो सदन में आए थे।'
 
मोदी ने कहा, 'इसलिए मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करूंगा और उम्मीद करूंगा कि वो हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।'
 
इसी साल अगस्त में दिल्ली कैपिटल टेरिटरी बिल में संशोधन के लिए वोटिंग होनी थी। कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। मनमोहन सिंह इस बिल पर हो रही चर्चा में हिस्सा लेने और वोटिंग करने के लिए व्हीलचेयर पर आए थे। उस वक़्त उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफ़ी शेयर की गई थीं।
 
अन्य नेताओं ने क्या कहा?
 
मोदी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने मनमोहन सिंह को 'दिल से ईमानदार व्यक्ति' बताया और कहा कि उन्हें दूसरों के किए ग़लत काम के लिए बदनाम किया गया। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष और सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते देश ने अच्छा आर्थिक विकास हुआ। उन्होंने मनमोहन सिंह के योगदान को याद करने के लिए पीएम मोदी को धन्यवाद भी कहा।
 
मनमोहन सिंह का कार्यकाल
 
साल 2004 से लेकर 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के कार्यकाल में खाद्य सुरक्षा और ग़रीबी उन्मूलन से लेकर शिक्षा और सरकारी कामकाज़ में पारदर्शिता से जुड़े कई अधिकार-आधारित क़ानून बने।
 
इन क़ानूनों में शामिल हैं-
 
*शिक्षा का अधिकार जिसने 6 से 14 साल के हर बच्चे के लिए शिक्षा को उसका मौलिक अधिकार बनाया
 
*सूचना का अधिकार जिसने सूचना तक हर नागरिक की पहुंच को उसका हक़ बनाया और इसे सुनिश्चित किया
 
*राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून जिसके तहत देश के दो तिहाई परिवारों को सब्सिडी में खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया
 
*भूमि अधिग्रहण क़ानून जिसके ज़रिए उन लोगों के लिए उचित मुआवज़ा तय किया गया जिनकी ज़मीनों का अधिग्रहण विकास कार्य के लिए किया गया
 
*वन अधिकार क़ानून जिसके तहत आदिवासी को ज़मीन के रिकॉर्ड दिए गए
 
*मनरेगा क़ानून जिसके ज़रिए प्रत्येक ग्रामीण परिवार को साल में कम से कम 100 दिनों के लिए रोज़गार दने की व्यवस्था की गई।
 
3 जनवरी 2014 को आयोजित अपनी आख़िरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ परमाणु क़रार की घोषणा की थी।
 
उन्होंने इसे अपने कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था। इस क़रार के ज़रिए ये सुनिश्चित हुआ कि भारत परमाणु ईंधन ख़रीद सकता है और अपने परमाणु संयंत्रों के लिए ईंधन तकनीक भी हासिल कर सकता है।
 
इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मनमोहन सिंह ने ख़ुद की आलोचना को लेकर कहा था कि उन्हें 'कमज़ोर प्रधानमंत्री' कहा जाता है लेकिन 'मीडिया की तुलना में इतिहास उनके प्रति अधिक उदार रहेगा।'
 
1980 के दशक में मनमोहन सिंह भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रहे। 1991 में वो राज्यसभा में आए थे। 1998 से 2004 के बीच वो विपक्ष के नेता रहे।
 
1991 से लेकर 1996 तक पीवी नरसिम्हा के कार्यकाल में मनमोह सिंह वित्तमंत्री के पद पर रहे।
 
इस दौरान उन्होंने आर्थिक सुधारों की पहल की इसी कारण उन्हें आर्थिक उदारीकरण का शिल्पकार कहा जाता है। उन्होंने भारत के कई सेक्टर को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया और व्यापार को लेकर लगाए गए प्रतिबंधों में ढील देनी शुरू की।
 
विदाई भाषण में बीजेपी नेताओं के लिए इशारा
 
राज्यसभा से विदा ले रहे सदस्यों के लिए विदाई भाषण में मोदी ने कहा कि अब ये सदस्य संसद छोड़कर जनसभा यानी लोगों के बीच जा सकते हैं।
 
उन्होंने कहा, 'हमारे मित्र... इस सीमित जगह के बाहर नई ज़िम्मेदारियों की तरफ़ बढ़ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि उन्हें यहाँ जो अनुभव मिला वो देश के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।'
 
अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार मोदी की ये टिप्पणी इस बात की तरफ़ इशारा है कि बीजेपी अपने कई वरिष्ठ नेताओं को लोकसभा चुनावों में बतौर उम्मीदवार उतार सकती है या फिर पार्टी में ही कोई ज़िम्मेदारी दे सकती है।
 
सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (जिनका राज्यसभा कार्यकाल भी ख़त्म होने वाला है) उन्हें अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेस से फिर राज्यसभा में भेजा नहीं जाएगा, हालांकि हो सकता है कि किसी और राज्य से उन्हें नामांकित किया जाए।
 
वहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर के तीन साल का कार्यक्ल अभी बाक़ी है और उन्हें छूट दी जा सकती है।
 
हालांकि सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि धर्मेन्द्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और पीयूष गोयल जैसे वरिष्ठ नेताओं को चुनावी रण में उतार दिया जाए।
 
राज्यसभा से जाने वालों में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया भी शामिल हैं। इससे अलावा चार और मनोनीत सदस्य जुलाई में रिटायर होंगे। इनमें बीजेपी के महेश जेठमलानी, सोनल मानसिंह, राम शकल और राकेश सिन्हा शामिल हैं।
 
चुनाव आयोग ने इससे पहले राज्यसभा की 56 सीटों के लिए फरवरी 27 को चुनाव करने की घोषणा की थी।
 
जैक सुलिवन और अजित डोभाल के बीच क्या हो सकती है चर्चा?
 
भारत के दौरे पर आ रहे अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के साथ पश्चिम एशिया में बिगड़ते हालात पर चर्चा कर सकते हैं।
 
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के अनुसार लाल सागर में व्यापारी जहाज़ों पर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के हमलों के साथ-साथ यूएस जीई-414 इंजन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र और भारत के अमेरिका से एमक्यू9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के सौदे को लेकर चर्चा हो सकती है।
 
जैक सुलिवन के भारत दौरे के दौरान दोनों के बीच फरवरी 20 ओर 21 को उच्चस्तरीय बैठक होनी है।
 
अख़बार लिखता है कि 100 फीसदी टेक्नोलॉजी ट्रांसफ़र के साथ भारत में ही यूएस जीई-414 इंजन के उत्पादन की योजना और भारतीय सेना के लिए एमक्यू9बी प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्रायल ने पहले ही अमेरिकी कांग्रेस को अपनी सहमति दे दी है। इस पर अब जीई और एचएएल के बीच समझौता होना है।
 
इसराइल पर हुए हमास के हमले को भारत ने 'आतंकी हमला' करार दिया था, लेकिन उसके बाद से ग़ज़ा में लगातार बिगड़ रहे मानवीय हालात से भारत चिंतित है।
 
हाल के वक्त में फ़लस्तीन का समर्थन कर रहे हूती विद्रोंहियों लाल सागर में व्यापारी जहाज़ों के निशाना बनाया है, जिसका असर भारत पर भी पड़ रहा है।
 
समुद्री रास्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत ने लाल सागर में बाब-अल-मंदाब से लेकर अरब सागर तक 10 युद्धपोत तैनात किए हैं।(फोटो सौजन्य : बीबीसी)