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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 28 जून 2023 (15:52 IST)

वागनर ग्रुप की गैरमौजूदगी का रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या असर होगा?

वागनर ग्रुप की गैरमौजूदगी का रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या असर होगा? - effect of russia ukraine war on wagner group
वो अपने हिंसक तरीकों के लिए मशहूर हैं और यूक्रेन की सेना के लिए एक ख़तरनाक दुश्मन साबित हुए हैं। इसके बावजूद वागनर ग्रुप की रूस-यूक्रेन जंग में भूमिका ख़त्म होती दिख रही है। पिछले शनिवार को इस 'प्राइवेट आर्मी कंपनी' के नेता येवगेनी प्रिगोज़िन ने यूक्रेन से मॉस्को की तरफ़ मार्च शुरू किया जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। रूस के राष्ट्रपति वाल्दिमीर पुतिन ने इसे “धोखा” और “पीठ में छुरा घोंपना” बताया।
 
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको की मध्यस्ता के बाद प्रिगोज़िन ने अपनी सेना को शनिवार को ही वापस जाने का आदेश दिया, वो उस समय रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच भी नहीं पाए थे। उन्होंने बाद मे कहा कि मार्च का मकसद विरोध था न कि तख्तापलट।
 
रूसी सैन्य प्रमुख की ओर इशारा करते हुए उन्होंने अपने ऑडियो मेसेज में कहा, “"मार्च का मक़सद वागनर को बर्बाद होने से बचाना और उन लोगों की जवाबदेही तय करना था जिनके उठाए गए ग़ैर-ज़िम्मेदाराना क़दम से कई ग़लतियां हुईं।"
 
उन्होंने कहा कि वागनर को अफ़सोस है कि "उन्हें रूसी वायुसेना को निशाना बनाना पड़ा" और वो पीछे मुड़े क्योंकि वो "रूसी सैनिकों का खून नहीं बहाना चाहते थे।"
 
अब ऐसा लगता है कि वागनर ग्रुप की भूमिका न रूस में बची है न यूक्रेन युद्ध में। सोमवार को पुतिन ने एलान कि वो लुकाशेंको और वागनर ग्रुप के उन लोगों के बीच समझौते का सम्मान करेंगे जिन्होंने खूनख़राबा नहीं किया, उनके पास बास बेलारूस जाने का भी विकल्प है। लेकिन अब इसका असर क्या यूक्रेन में रूस की जंग पर होगा?
 
जंग पर कितना असर?
रेन नाम की रिस्क एनालिसिस फ़र्म में यूरेशिया मामलों के विशेषज्ञ मैथ्यू ऑर कहते हैं, “मुझे लगता है कि कम से कम कुछ समय के लिए यूक्रेन की जंग पर कोई असर नहीं होगा।”
 
उन्होंने कहा, “वागनर ग्रुप के जिन लोगों ने हिंसा में हिस्सा लिया था वो पहले ही पीछे हट चुके हैं, यहां तक जिन लोगों ने हिस्सा नहीं लिया वो भी जंग के मैदान में नहीं हैं। ज़्यादातर लोग कैंपों में हैं। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि यूक्रेन की जंग में रूस को सैनिकों की कमी होगी।”
 
विशेषज्ञ ज़ैक विटलन का भी मानना है कि हाल की घटनाओं का जंग पर बहुत ज़्यादा असर नहीं होगा, कम से कम अगले कुछ हफ़्ते या महीनों तक बिल्कुल नहीं। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में यूक्रेन के साथ मुठभेड़ चल रही है, वहां वागनर लड़ाके मौजूद नहीं थे।
 
कम होती ताकत
विशेषज्ञ कहते हैं कि वागनर ग्रुप ने 2022 में जंग में एक अहम भूमिका निभाई थी, ख़ासतौर पर बखमूत पर कंट्रोल हासिल करने में, लेकिन तब से इनकी अहमियत कम हुई है।
 
विटलिन के मुताबिक, “वागनर समूह की अहमियत पिछले एक साल में कम हुई है। उनका इस्तेमाल सबसे कठिन मिशन के लिए होता था और फ्रंट लाइन पर उनके कई लड़ाकों की मौत हुई। इस नज़रिये से वो रूसी सेना के लिए महत्वपूर्ण थे।”
 
मैथ्यू के मुताबिक बखमूत में कई वागनर लड़ाकों की मौत हुई और इसी कारण ये समूह कमज़ोर भी हुआ।
 
मैथ्यू ने बताया, “उनकी कई यूनिट, ख़ासतौर पर वो जिनमें रिहा किए गए कैदी थे, कई मुश्किल हमलों में शामिल थीं। उनमें कई लोग घायल हुए। इसलिए ये ग्रुप कमज़ोर हुआ है। ये बात समझनी होगी कि उनके पास रूसी सैनिकों जितने साधन नहीं हैं।”
 
उनके मुताबिक जानमाल का नुकसान इसलिए भी बढ़ा क्योंकि प्रिगोज़िन राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहे थे। वो रूसी सेना, रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू और चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ वैलेरी गेरासिमोव के खिलाफ़ बयान दे रहे थे।
 
वागनर ग्रुप और रूसी सेना 10 जून को तब आमने-सामने आ गए जब ये एलान किया गया कि सैनिकों को रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट साइन करना होगा। इसका सीधा मतलब ये होता कि सैनिक रूसी सेना के अधीन आ जाते, प्रिगोज़िन का उन पर कंट्रोल नहीं होता।
 
पुतिन की इस पहल को वहां के लोगों का समर्थन भी मिला लेकिन इससे इसके संस्थापक के विद्रोह का डर पैदा हो गया।
 
लेकिन ज़ैक विटलिन कहते हैं कि वागनर ग्रुप में 20 हज़ार से भी कम लोग हैं। ये रूसी सेना का बहुत छोटा हिस्सा है। इसलिए रक्षा मंत्रालय के उनको नौकरी देने से बहुत बड़ा बदलाव नहीं आता।
 
यूक्रेन के लिए मौका?
लेकिन इसका यूक्रेन पर क्या असर होगा? क्या रूसी सेना में विवाद का फ़ायदा यूक्रेन को मिलेगा?
 
बीबीसी मुंडो से बात करते हुए ज़ैक विटलिन कहते हैं, “जब तक रूस आपस में एकजुट नहीं है, यूक्रेन पर अपनी नीति को आगे लेकर बढ़ना उनके लिए आसान नहीं है।”
 
अमेरिकी गृह मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि हालात यूक्रेन के पक्ष में जा सकते हैं। लेकिन रूसी सेना की तरफ से हमलों में कोई कमी नहीं आई है। यूक्रेनी सेना भी किसी तरह का लाभ उठाने में कामयाब नहीं दिख रही।
 
अब रूस क्या करेगा? क्या वो यूक्रेन पर बड़ा हमला करने की तैयारी कर सकता है।
 
विटलिन कहते हैं कि ऐसा मुमकिन है। उनके मुताबिक, “पिछले कुछ महीनों में रूस ने यूक्रेन के कई ढांचों को निशाना बनाया है, उनकी जंग फ्रंटलाइन तक सीमित नहीं है। कई बार ऐसा लगा है कि रूस यूक्रेन को किसी तरह का संदेश देना चाहता है।”
 
उनके मुताबिक रूस अब कोई भी ऐसा कदम उठा सकता है जिसका अंजाम यूक्रेन के लिए बहुत बुरा हो।
 
हालांकि मैथ्यू ऑर मानते हैं कि जो हुआ उससे रूस की बुनियादी नीतियों पर बहुत असर नहीं होगा। वो कहते हैं, “युद्ध पर इसका बहुत कम असर पड़ेगा। पुतिन इस जंग में फंस गए हैं और उन्हें इसमें आगे बढ़ना है। इसलिए उनके लिए सबकुछ पहले जैसा है। वो लगे रहेंगे और रूस के पास आगे बढ़ने की ताकत है।”
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