एंथनी ज़र्कर
उत्तरी अमेरिका, संवाददाता
चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के प्रमुख अबु बक्र अल-बग़दादी का मारा जाना अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए किसी बड़ी जीत से कम नहीं है। लेकिन, ये राष्ट्रपति के काम करने की टकरावभरी शैली के ख़तरे और ख़राब साझेदारियों का एक स्पष्ट उदाहरण भी है।
इसकी शुरुआत डोनाल्ड ट्रंप की रविवार सुबह की घोषणा से हुई थी। उन्होंने घोषणा में बग़दादी 'कुत्ते जैसी मौत' मरा, ये कहकर ख़ुशी जताई थी। साथ ही बताया कि उन्होंने कैसे एक फ़िल्म की तरह इस पूरे ऑपरेशन को देखा।
बग़दादी को मारने का अभियान और जानकारी देने का डोनल्ड ट्रंप का तरीक़ा बराक ओबामा की उस शाम की घोषणा से बिल्कुल उलट है जिसमें उन्होंने ओसामा बिन लादेन के मारे जाने की जानकारी दी थी।
डोनल्ड ट्रंप के इस व्यवहार को लेकर बहुत हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि वो पहले ही कह चुके हैं कि ये 'आधुनिक समय का राष्ट्रपति शासन' है और उनकी रुखी और लापरवाह भाषा इस पैकेज का हिस्सा है।
पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने योरपीय सहयोगियों की आलोचना भी की और आईएस क़ैदियों को बंद रखने में बहुत ज़्यादा सहयोग न करने के चलते उन्हें 'भयंकर निराशा' कहा।
साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी दावा किया कि बग़दादी की मौत 2011 में ओसामा बिन लादेन को मारने से ज़्यादा बड़ी थी। ओसामा बिन लादेन को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान मारा गया था।
ओसामा से तुलना
डोनाल्ड ट्रंप अपनी बातों में बार-बार ओसामा बिन लादेन का ज़िक्र कर रहे थे। ट्रंप ने ये दावा किया कि उन्होंने 'वर्ल्ड ट्रेड सेंटर' पर हमले से पहले अपनी किताब में ओसामा बिन लादेन को लेकर चेतावनी दी थी लेकिन उस पर किसी ने गौर नहीं किया। उन्होंने कहा कि अगर मेरी बात सुनी गई होती तो आज बहुत-सी चीज़ें अलग होतीं।
हालांकि तथ्य यह भी है कि ओसामा बिन लादेन लंबे समय से अमेरिका के निशाने पर रहा और ट्रंप ने अपनी किताब 'द अमरिका वी डिज़र्व' में ऐसा कुछ नहीं लिखा था।
रिपब्लिकन पार्टी को सूचना नहीं
डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी बताया कि उन्होंने परंपरा को तोड़ते हुए संसद के निचले सदन की स्पीकर और डेमोक्रेट पार्टी नेता नैन्सी पलोसी और हाउस इटेलिजेंस कमेटी के प्रमुख एडम शिफ को भी इस अभियान के बारे में नहीं बताया था।
इसका कारण देने हुए उन्होंने कहा कि हम उन्हें पिछली रात को बताने वाले थे लेकिन फिर हमने ऐसा न करने का फ़ैसला लिया क्योंकि वॉशिंगटन में इससे पहले इतनी ज़्यादा बातें लीक होते नहीं देखीं थीं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने कुछ रिपब्लिकन सांसदों जैसे सीनेट इंटेलिजेंस प्रमुख रिचर्ड बर और सांसद लिंड्से ग्राहम को इस संबंध में जानकारी दी थी।
डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और तुर्की के अधिकारियों की भी तारीफ़ की। उन्होंने माना की उन्हें इस अभियान का पहले ही संकेत दे दिया गया था।
विपक्ष को यह बात खटकनी लाज़मी थी। नैन्सी पेलोसी ने एक बयान ज़ारी करते हुए कहा कि इस अभियान के बारे में सदन में बयान दिया जाना चाहिए। वो अभियान जिसके बारे में रूस को बताया गया लेकिन विपक्षी नेताओं को नहीं। हमारी सेना और सहयोगी एक ज़्यादा मज़बूत, कुशल और रणनीतिक साझेदारी चाहते हैं।
अगले दिन शिकागो जाने के दौरान उन्होंने एडम शिफ को भ्रष्टाचारी और जानकारी लीक करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि मैंने एडम शिफ की लीक जानकारी को देखा है। वे एक भ्रष्ट नेता हैं। एडम शिफ राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ महाभियोग मामले की जांच का नेतृत्व भी कर रहे हैं।
बराक ओबामा के दौरान स्थितियां इससे अलग थीं। ओसामा बिन लादेन के ख़िलाफ़ अभियान चलाने से पहले बराक ओबामा ने दोनो पार्टियों के नेताओं को इसकी जानकारी दी थी।
उनमें से कुछ रिपब्लिकन नेता हाउस इंटेलिजेंस कमेटी में भी थे। उनका कहना था कि वो इस अभियान के दौरान व्हाइट हाउस के संपर्क में थे।
वॉशिंग्टन एग्ज़ामिनर में लिखने वाले एक लेखक बेरॉन यॉर्क ने ट्वीटर पर ज़िक्र किया है कि ओसामा और बग़दादी के मारे जाने पर नैंसी पेलोसी की प्रतिक्रिया में किस तरह का अंतर है।
उस समय नैन्सी पेलोसी ने ओबामा को सैल्यूट किया था। हालांकि उन्होंने अपने बयान में यह तारीफ़ सिर्फ़ सेना और ख़ुफ़िया अधिकारियों तक ही सीमित रखी थी। राष्ट्रपति ट्रंप भी लादेन की मौत का श्रेय ओबामा को देने से बचते रहे हैं।
राजनीतिक फ़ायदा
इस समय ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि आने वाले चुनावों में ट्रंप को बग़दादी की मौत का फ़ायदा मिलेगा या नहीं। ओबामा को भी लादेन की मौत का बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं मिला था।
डोनाल्ड ट्रंप के बग़दादी पर बार-बार ज़ोर देने के बावजूद ये नाम अमेरिकी लोगों के बीच बहुत बड़ा नहीं है। हालांकि, ट्रंप सीरिया से अमेरिकी सेना हटाने और वहां तुर्की के हमले के लिए आलोचना का सामना ज़रूर कर रहे थे।
ऐसे में ये अभियान रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन बढ़ाने में मदद कर सकता है, डेमोक्रेट्स में और ग़ुस्सा पैदा कर सकता है जिससे कि अमेरिका दो धड़ों में बंट सकता है।