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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 19 अप्रैल 2022 (07:32 IST)

चीन पर कोरोना की नई लहर की मार, बेकारी रिकॉर्ड स्तर पर, शंघाई में पहली बार मौतें

चीन पर कोरोना की नई लहर की मार, बेकारी रिकॉर्ड स्तर पर, शंघाई में पहली बार मौतें - corona effect on china
चीन की अर्थव्यवस्था के बारे में आए नए आँकड़ों से पता चलता है कि वहाँ पिछले महीने कोरोना की नई लहर के बाद लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से लोगों के ख़र्चों में कमी आई है और बेरोज़गारी महामारी के शुरुआती दौर के बाद से अपने चरम पर पहुँच गई है।
 
मार्च के महीने से चीन में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेज़ उछाल आया है जिसके बाद देश के केई शहरों में लॉकडाउन लगाना पड़ा है। इनमें शंघाई भी शामिल है जिसे चीन का वित्तीय, मैन्युफ़ैक्चरिंग और शिपिंग हब माना जाता है।
 
चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स के जारी किए गए आँकड़ों के मुताबिक़ मार्च में रिटेल सेल्स या खुदरा बिक्री की दर 3।5% घट गई। 2020 की जुलाई के बाद से पहली बार इसमें गिरावट दर्ज की गई है। इसी अवधि में बेरोज़गारी की दर बढ़कर 5।8% पर पहुँच गई। ये भी 2020 के मई महीने के बाद से सबसे ऊँची दर है।
 
ये आँकड़े बताते हैं कि आने वाले महीनों में चीन की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन या तेज़ गिरावट आ सकती है। इसकी मुख्य वजह वहाँ बड़े पैमाने पर लागू किए गए लॉकडाउन के साथ-साथ यूक्रेन युद्ध को समझा जा रहा है।
 
हालाँकि, इस साल के पहले तीन महीनों में चीन की अर्थव्यवस्था में जितनी उम्मीद की जा रही थी उससे ज़्यादा तेज़ी दर्ज की गई है।
 
वैसे दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने विश्लेषकों की भविष्यवाणी को नकारते हुए अपनी अर्थव्यवस्था बेहतर की और उसकी जीडीपी में पिछले वर्ष के मुक़ाबले 4।8% का विकास हुआ।
 
मगर, ये चीन के अपने लक्ष्य से कम है। चीन ने इस साल के लिए 5।5% का विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
 
कोरोना से मौतें
इस बीच चीन के शहर शंघाई में मार्च के अंत में लॉकडाउन लगने के बाद से पहली बार तीन लोगों की मौत की ख़बर आई है।
 
सोमवार को शंघाई के स्वास्थ्य आयोग की ओर से इस बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि मृतकों की उम्र 89 से 91 वर्ष के बीच थी और उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई थी।
 
शंघाई के अधिकारियों ने एक बयान में साथ ही कहा कि तीनों लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएँ थीं। चीन अभी तक कहता रहा था कि शंघाई में कोरोना से किसी की भी मौत नहीं हुई है। मगर उसके इस दावे पर सवाल उठाए जाते रहे थे।
 
सोमवार को चीन सरकार ने जिन तीन मौतों की पुष्टि की है , वो पूरे देश में मार्च 2020 के बाद पहली दफ़ा है जब सरकार की ओर से कोरोना से किसी की मौत होने की बात को स्वीकार किया गया है।
 
सख़्त लॉकडाउन
शंघाई में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का पता लगने के बाद तीन सप्ताह पहले सख़्त लॉकडाउन लगाया गया था। इसे लेकर वहाँ के लोगों में भारी नाराज़गी रही है।
 
वहाँ लाखों लोगों को उनके घरों में बंद कर दिया गया है, और पोज़िटिव पाए जाने वालों को जबरन क्वारंटीन सेंटर भेज दिया जा रहा है।
 
हाल के हफ़्तों में बहुत सारे लोगों ने सोशल मीडिया पर आकर इन पाबंदियों के बारे में शिकायतें कीं और कहा कि खाने के सामान नहीं मिल रहे।
 
उन्होंने बताया कि लोगों को खाने और पानी के लिए ऑर्डर करना पड़ रहा है और सब्ज़ी, मीट और अंडों के लिए सरकारी सप्लाई पर निर्भर रहना पड़ रहा है। विश्लेषकों का कहना है कि इनमें से ज़्यादातर जगहों पर सामानों की कमी है।
 
मगर वहाँ हर दिन 20,000 से ज़्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं जो सरकार के लिए एक चुनौती साबित हो रही है। अधिकारियों ने हाल के हफ़्तों में कई एक्ज़ीबिशन हॉल्स और स्कूलों को क्वारंटीन सेंटर बना दिया है और अस्थायी अस्पताल बनाए जा रहे हैं।
 
शंघाई में पिछले तीन सप्ताह से लॉकडाउन लगा है। साथ ही, वहाँ फिर से बड़े पैमाने पर टेस्टिंग शुरू हो रही है। इसका मतलब ये है कि वहाँ अधिकतर लोगों को लगातार चौथे सप्ताह लॉकडाउन में रहना होगा।
 
वैसे तुलनात्मक तौर पर चीन में कोरोना संक्रमण की संख्या में आई तेज़ी कुछ दूसरे देशों के मुक़ाबले छोटी लगती है। मगर चीन के लिए एक बड़ी चुनौती हो गई है क्योंकि उसने ज़ीरो-कोविड की नीति अपनाई हुई है जिसके तहत महामारी को रोकने के लिए फ़ौरन लॉकडाउन लगा दिए जाते हैं और आक्रामक तरीक़े से पाबंदियाँ लागू की जाती हैं।
 
चीन की ये नीति उसे ज़्यादातर अन्य देशों से अलग करती है जो अब वायरस के साथ रहने की कोशिश कर रहे हैं।
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