हिन्दी ग़ज़ल : वेदना का व्याकरण...
आलोक यादव | गुरुवार,दिसंबर 7,2017
पढ़ रहा हूं वेदना का व्याकरण मैं हूं समर में आज भी हर एक क्षण मैं सभ्यता के नाम पर ओढ़े गए जो नोंच फेंकू वो मुखौटे, आवरण ...
क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त। अनेक उपलब्धियां तथा कई पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से रचनाओं का प्रसारण।
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