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Written By WD Feature Desk
Last Updated : गुरुवार, 25 जुलाई 2024 (16:57 IST)

श्रावण मास विशेष: सावन में अवश्य पढ़ें प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति

श्रावण मास विशेष: सावन में अवश्य पढ़ें प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र, कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति - Shiv Panchakshar Stotra
Shiva Worship
Highlights 
 
* भगवान शिव का खास स्तोत्र।
* शिव-स्तोत्र का उच्चारण का प्रभाव।
* प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र जानें।

 
shiv panchakshari mantra: इन दिनों भगवान शिव की आराधना का पर्व श्रावण चल रहा है और इस माह में भोलेनाथ की आराधना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।


यदि आप सावन में भगवान शिव की पूजा के बाद 'शिव पंचाक्षर स्तोत्र' का पाठ करें तो निश्चित ही आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी, क्योंकि शिव पंचाक्षर स्तोत्र बहुत ही प्रभावी माना जाता है। और उस समय इत्र और कपूर का प्रयोग करना बहुत ही लाभकारी माना जाता है। अत: श्रावण मास में शिव पूजन के समय पंचाक्षरी स्तोत्र का जाप करने का विशेष महत्व कहा गया हें। आइ यहां पढ़ें प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र का संपूर्ण पाठ...
 
प्राचीन शिव पंचाक्षरी स्तोत्र :
 
नागेन्द्रहराय त्रिलोचनाय
भास्मंगारागाय महेश्वराय
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै 'न'काराय नमः शिवाय ।।1।।
 
मन्दाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय
नंदिश्वाराय प्रमथानाथ महेश्वराय
मंदारापुष्प बहुपुष्प सुपुजिताय
तस्मै 'म'काराय नमः शिवाय ।।2।।
 
शिवाय गौरी वादानाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वार नशाकाय
श्रीनिलाकंठाय वृषभध्वजाय
तस्मै 'शि'काराय नमः शिवाय।।3।।
 
वसिष्ठ कुम्भोद्भव गौतामार्य
मुनीन्द्र देवार्चिता शेखाराय
चन्द्रार्कवैश्वनारा लोचनाय
तस्मै 'व'काराय नमः शिवाय।।4।।
 
यक्षस्वरुपाय जटाधाराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै 'य'काराय नमः शिवाय।।5।।
 
प्रभाव : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार शिव जी का पंचाक्षरी स्तोत्र सभी मंत्रों में शुभ व पवित्र माना जाता है। श्रावण में व्रत रखने वाले व्यक्तियों को शिव स्तोत्र को अवश्य पढ़ना चाहिए। ऐसा करने से अनेक प्रकार की सात्विक और पवित्र ऊर्जा का शरीर में समावेश होता है तथा मनोरथ पूर्ण होते हैं। 

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