आपने देखा होगा जब भी आप किसी ज्योतिष के पास जाते हैं तो वह आपकी पत्रिका देखता है और उसका मूल्यांकन करके आपको आपके जीवन के उन सभी विषयों के बारे में बताता है जो आप जानना चाहते हैं। शायद कभी आपके मन में यह सवाल भी आया हो कि आखिर क्या है ये जन्म पत्रिका जिसे जन्म कुंडली भी कहते हैं? और कैसे इस पत्रिका को देखकर एक ज्योतिष हमारे जन्म, स्वाभाव, कद काठी, धन, परिवार, पढाई लिखे, नौकरी, प्रेम, शादी, संतान और भी कई तरह की जानकारियां बता सकता है? कैसे एक जन्म पत्रिका हमारे पूरे जीवन का खाका तय कर सकती है और कैसे ये भविष्यवाणियां सही साबित हो सकती है?
इस तरह के कई सवाल हैं जो एक सामान्य मनुष्य के दिमाग में आना स्वाभाविक है अगर वह ज्योतिष विधा के बारे में ज्यादा नहीं जानता। इस आलेख के माध्यम से मेरा प्रयास है कि अगर आपके दिमाग में भी इस तरह के प्रश्न हैं तो उनका उत्तर आपको दे सकूं।
आप सभी एक्स-रे फिल्म के बारे में तो ज़रूर जानते होंगे...जिसके माध्यम से हम शरीर के अंदर किसी भाग कि स्थिति को यथावत देख पाते हैं। हमारी जन्मपत्रिका भी एक तरह कि एक्स-रे फिल्म कि तरह ही है। दरअसल जन्म पत्रिका, हमारे जन्म के समय आकाश या ब्रह्माण्ड में बनने वाली ग्रहों कि स्थिति का एक्स रे या खाका है, जो यह बताता है कि जिस तिथि ,समय और स्थान पर हमारा जन्म हुआ था उस समय ब्रम्हाण्ड के सभी गृह किस स्थिति में थे। और यह खाका ही ग्रहों कि दशा और दिशा के माध्यम से सही तरीके से समझा जाए तो जातक के जीवन कि विभिन्न घटनाओं और पहलुओं को सटीक तरीके से समझा जा सकता है।
जन्मपत्रिका में १२ भाव होते हैं, जो १२ खानों के रूप में नजर आते हैं। इन १२ भावों में प्रत्येक भाव आपके जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों को समेटे हुए हैं, जिनमे आप खुद, आपसे जुड़े समस्त संबंध, घर, परिवार, कुटुंब, स्वस्थ्य, शिक्षा, नौकरी, धन, जीवन कि बड़ी घटनाएं जैसे प्रेम, विवाह, संतान, मृत्य, भाग्य, मनोकामनाओं कि पूर्ति शामिल हैं। इन बारहों भावों से मिलकर ही कुंडली संपूर्ण जीवन को प्रदर्शित करती है, जिसमें प्रत्येक भाव में विराजित राशि, उनके स्वामी, दृष्टि और विभिन्न ग्रहों कि स्थिति को देखकर स्थिति, परिस्थिति, शुभ, अशुभ, का अनुमान लगाया जाता है। इसके आलावा ज्योतिष के नियमों का इसमें समावेश कर वास्तविक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलती है।