गुरुवार, 28 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Sawan shivratri me shiv ji ko kya kya chadhana chahiye
Written By
Last Updated : सोमवार, 14 अगस्त 2023 (16:32 IST)

सावन माह : 14 अगस्त 2023 को है शिवरात्रि, शिवजी को 5 चीजें चढ़ाना न भूलें

सावन माह : 14 अगस्त 2023 को है शिवरात्रि, शिवजी को 5 चीजें चढ़ाना न भूलें - Sawan shivratri me shiv ji ko kya kya chadhana chahiye
Shivratri 2023 : हर माह चतुर्दशी को शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। अब 14 अगस्त 2023 सोमवार के दिन मासिक शिवरात्रि रहेगी। यह शिवरात्रि अधिक श्रावण की है। वैसे शिवजी को दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने का रस, गंगाजल आदि को अर्पित किया जाता है। इसी के साथ ही हरसिंगार के फूल, काला तिल, भांग, हलवा या खीर, बेल का फल आदि चढ़ाते ही हैं, लेकिन पांच प्रमुख्‍ चीजें अर्पित करना भी जरूरी है।
 
इस दिन श्रावण सोमवार का व्रत भी रखा जाएगा। वैसे तो साल में एक बार मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, लेकिन इसके अलावा भी वर्ष में कई शिवरात्रियाँ आती हैं जिन्हें प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं। परंतु श्रावण मास की मासिक शिवरात्रि महत्वपूर्ण होती है। इस दिन व्रत करने से हर मुश्किल कार्य आसान हो जाता है और जातक की सारी समस्याएं दूर होती हैं।
 
पूजा के शुभ मुहूर्त :-
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:19 से 01:11 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:55 से 03:47 तक।
अमृत काल : दोपहर 03:16 से 04:47 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम 07:16 से 07:38 तक।
 
बिल्वपत्र : भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। अत: तीन पत्तियों वाला बिल्वपत्र शिव जी को अत्यंत प्रिय है। प्रभु आशुतोष के पूजन में अभिषेक व बिल्वपत्र का प्रथम स्थान है। ऋषियों ने कहा है कि बिल्वपत्र भोले-भंडारी को चढ़ाना एवं 1 करोड़ कन्याओं के कन्यादान का फल एक समान है। भगवान के तीन नेत्रों का प्रतीक है बिल्वपत्र। 
 
आंकड़ा : शास्त्रों के मुताबिक शिव पूजा में एक आंकड़े का फूल चढ़ाना सोने के दान के बराबर फल देता है।
 
धतूरा : भगवान शिव को धतूरा भी अत्यंत प्रिय है। देवी भागवत‍ पुराण के अनुसार शिव जी ने जब सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया तब वह व्याकुल होने लगे। तब अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से शिव जी की व्याकुलता दूर की थी। उस समय से ही शिव जी को भांग धतूरा प्रिय है। शिवलिंग पर केवल धतूरा ही न चढ़ाएं बल्कि अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी अर्पित करें।
 
चंदन : चंदन का संबंध शीतलता से है। भगवान शिव मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं। चंदन का प्रयोग अक्सर हवन में किया जाता है और इसकी खुशबू से वातावरण और खिल जाता है। यदि शिव जी को चंदन चढ़ाया जाए तो इससे समाज में मान सम्मान यश बढ़ता है।  
 
भस्म : इसका अर्थ पवित्रता में छिपा है, वह पवित्रता जिसे भगवान शिव ने एक मृत व्यक्ति की जली हुई चिता में खोजा है। जिसे अपने तन पर लगाकर वे उस पवित्रता को सम्मान देते हैं। कहते हैं शरीर पर भस्म लगाकर भगवान शिव खुद को मृत आत्मा से जोड़ते हैं। उनके अनुसार मरने के बाद मृत व्यक्ति को जलाने के पश्चात बची हुई राख में उसके जीवन का कोई कण शेष नहीं रहता। ना उसके दुख, ना सुख, ना कोई बुराई और ना ही उसकी कोई अच्छाई बचती है। इसलिए वह राख पवित्र है, उसमें किसी प्रकार का गुण-अवगुण नहीं है, ऐसी राख को भगवान शिव अपने तन पर लगाकर सम्मानित करते हैं। एक कथा यह भी है कि पत्नी सती ने जब स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया तो क्रोधित शिव ने उनकी भस्म को अपनी पत्नी की आखिरी निशानी मानते हुए तन पर लगा लिया, ताकि सती भस्म के कणों के जरिए हमेशा उनके साथ ही रहे।
ये भी पढ़ें
Today horoscope : 15 अगस्त 2023 के दिन देश और दुनिया में घट सकती हैं ये घटनाएं