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Last Updated : गुरुवार, 31 अगस्त 2023 (19:18 IST)

2 सितंबर को सूर्य पर जाएगा ISRO का अंतरिक्ष यान, Aditya L1 Mission इन रहस्यों को करेगा उजागर

2 सितंबर को सूर्य पर जाएगा ISRO का अंतरिक्ष यान, Aditya L1 Mission इन रहस्यों को करेगा उजागर - PSLV-C57/Aditya-L1 Mission : The launch of Aditya-L1,  the first space-based Indian observatory to study the Sun, is scheduled for September 2
Aditya L1 Mission  :  चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन की सफलता इसरो 2 सितंबर को एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है जब वह आदित्य एल-1 मिशन (Aditya L1 Mission)  को लॉन्च करेगा। यह सूर्य के अवलोकन के लिए पहला भारतीय अंतरिक्ष मिशन होगा। इसरो का यह यान कई तरह के रहस्यों को उजागर करेगा। PSLV-C57/Aditya-L1 Mission 2 सितंबर को लॉन्च किया जाएगा।  
 
 ISRO अगले महीने के प्रारंभ में ‘सूर्य मिशन’ की तैयारी में है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस मिशन से अंतरिक्ष में मौसम की गतिशीलता, सूर्य के कोरोना के तापमान, सौर तूफान एवं उत्सर्जन एवं पराबैगनी किरणों के धरती, खासकर, ओजोन परत पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सकेगा। 
 
तूफान का मिलेगा पूर्वानुमान : वैज्ञानिकों का मानना है कि मिशन के तहत विभिन्न प्रकार का डेटा एकत्र किया जाएगा ताकि कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जा सके कि नुकसानदेह सौर पवन एवं तूफान की जानकारी मिलते ही सावधानी का अलर्ट जारी किया जा सके।
 
आदित्य एल1 (Aditya L1 Mission) मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण ‘सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप’ (एसयूआईटी) को पुणे स्थित इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स (आईयूसीएए) ने तैयार किया है।
 
आईयूसीएए के वैज्ञानिक एवं एसयूआईटी के मुख्य अन्वेषक प्रो. दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि इसरो का सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ है जो धरती से सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर तक जाएगा और सूरज का अध्ययन करेगा।
उन्होंने बताया कि सूरज से काफी मात्रा में पराबैंगनी किरणें निकलती है और इस टेलीस्कोप (एसयूआईटी) से 2000-4000 एंगस्ट्रॉम के तरंग दैर्ध्य की पराबैंगनी किरणों का अध्ययन किया जाएगा।
 
त्रिपाठी ने बताया कि इससे पहले दुनिया में इस स्तर की पराबैंगनी किरणों का पहले रिचर्स नहीं किया गया है।
 
आदित्य-एल1 मिशन का लक्ष्य एल1 के चारों ओर की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है।
 
कितने पेलोड लेकर जाएगा : यह अंतरिक्ष यान सात पेलोड लेकर जाएगा, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपरी सतह) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का अवलोकन करने में मदद करेंगे।
 
आईयूसीएए के एक अन्य वैज्ञानिक प्रो. एएन रामप्रकाश ने बताया कि आदित्य एल-1 के साथ 7 पेलोड भी अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। ये पेलोड सूरज की प्रकाशमंडल, वर्णमंडल और सबसे बाहरी परत का अध्ययन करेंगे। सात में से चार पेलोड लगातार सूर्य पर नजर रखेंगे जबकि तीन पेलोड परिस्थितियों के हिसाब से कणों और मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेंगे।
 
उन्होंने बताया कि सूरज की ऊपरी सतह पर कुछ विस्फोट होते रहते हैं लेकिन यह कब होंगे और इसके प्रभाव क्या होंगे, इसकी सटीक जानकारी नहीं है...ऐसे में इस टेलीस्कोप का एक उद्देश्य इनका अध्ययन करना भी है।
 
प्रो. रामप्रकाश ने बताया कि इसके लिए हमने एक कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) पर आधारित तत्व विकसित किया है जो इसका डाटा (विस्फोटों का) एकत्र करेगा और उसका मूल्यांकन करेगा।
 
आदित्य एल1 को सूर्य-पृथ्वी की व्यवस्था के लाग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य को बिना किसी व्यवधान या ग्रहण के लगातार देखने का लाभ मिलेगा। Edited By : Sudhir Sharma