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Last Modified: गुरुवार, 14 अगस्त 2025 (20:22 IST)

ग़ाज़ा : पत्रकारों की हत्या 'अस्वीकार्य', यूनेस्को ने की कड़ी निंदा

UNESCO strongly condemns killing of journalists in Palestine
शान्ति और सुरक्षा
संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन- यूनेस्को ने फिलिस्तीन में 10 अगस्त को ड्रोन से किए गए एक इसराइली हमले में 6 पत्रकारों की लक्षित हत्या की कड़ी निन्दा की है और इन हत्याओं की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
 
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्री अज़ूले ने मंगलवार को कहा, मैं पत्रकार अनस अल-शरीफ़, मोहम्मद क़रीक़ेह, इब्राहीम ज़ाहेर, मोहम्मद नौफ़ल, मोआमेन अलीवा और मोहम्मद अल-ख़ाल्दी की हत्या की निन्दा करती हूं और एक गहन एवं पारदर्शी जांच की मांग करती हूं।
 
इन छह में से पांच पत्रकार, क़तर स्थित मीडिया संस्थान, अल जज़ीरा के लिए काम करते थे: अनस अल-शरीफ़ और मोहम्मद क़रीक़ेह संवाददाता थे, जबकि इब्राहीम ज़ाहेर, मोहम्मद नौफ़ल और मोआमेन अलीवा कैमरा ऑपरेटर के रूप में काम करते थे। मोहम्मद अल-ख़ाल्दी एक स्वतंत्र फ़ोटो पत्रकार थे।
मीडिया ख़बरों के अनुसार, ये पत्रकार, ग़ाज़ा शहर के अल-शिफ़ा अस्पताल के प्रवेश द्वार पर मीडियाकर्मियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक शिविर पर हुए इसराइली हमले में मारे गए।
 
ज़ाहिरा और पूर्वनियोजित हमला
इसराइली रक्षाबलों (IDF) ने आरोप लगाया है कि 28 वर्षीय संवाददाता अनस अल-शरीफ़, हमास का एक सक्रिय सदस्य था। जबकि अल जज़ीरा ने इसका पुरज़ोर खंडन करते हुए इस हमले को हत्या और प्रेस की आज़ादी पर एक और ज़ाहिरा व पूर्वनियोजित हमला बताया है।
 
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्र विशेषज्ञ ने एक इसराइली सैन्य प्रवक्ता की अनस अल शरीफ़ को बार-बार दी गई धमकियों और निराधार आरोपों की 31 जुलाई को एक बयान जारी करके निन्दा की थी और इसे ग़ाज़ा में उनकी जान को ख़तरे में डालने और उनकी रिपोर्टिंग को दबाने का एक भारी प्रयास बताया था।
संयुक्त राष्ट्र के दो मानवाधिकार विशेषज्ञों ने इस हमले की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए इन हत्याओं को ग़ाज़ा में चल रहे जनसंहार और भुखमरी अभियान की रिपोर्टिंग को दबाने का एक प्रयास बताया।
 
विशेषज्ञों ने कहा, यह बेहद अपमानजनक है कि इसराइली सेना ने पहले अनस अल-शरीफ़ की रिपोर्टिंग को बदनाम करने के लिए उन्हें हमास का सदस्य बताकर बदनाम करने का अभियान चलाया और फिर दुनिया के सामने सच बोलने के लिए उन्हें और उनके साथियों को मार डाला। उन्होंने हत्याओं की तत्काल जांच और अन्तरराष्ट्रीय मीडिया तक पूरी पहुंच की मांग की, जिस पर इसराइल ने इस समय ग़ाज़ा में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा रखा है।
विशेष रैपोर्टेयर और स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और नियमित रूप से उसे अपनी रिपोर्ट सौंपते हैं। वो अपनी व्यक्तिगत क्षमता में काम करते हैं, वो संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिए, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है।
 
अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
यूनेस्को प्रमुख ऑड्री अज़ूले ने ज़ोर देकर कहा कि टकरावों और युद्धों के बारे में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2222 का सम्मान किए जाने का अपना आहवान भी दोहराया, जिसे युद्ध की स्थितियों में पत्रकारों, मीडिया पेशेवरों और सम्बन्धित कर्मियों की सुरक्षा के लिए 2015 में सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
अक्टूबर 2023 से यूनेस्को ने फिलिस्तीन में ड्यूटी के दौरान मारे गए कम से कम 62 पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की ख़बर दी है, जिसमें उनके काम से सम्बन्धित परिस्थितियों में हुई मौतें शामिल नहीं हैं। इस बीच यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय- OHCHR की रिपोर्ट है कि इसी अवधि में कम से कम 242 फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए हैं।
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