ब्राज़ील के बेलेम शहर में संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप30) में जलवायु वार्ताकारों ने एक चेतावनी जारी की है : जानबूझकर फैलाई जाने वाली भ्रामक जानकारी (Disinformation) की वजह से वैश्विक तापमान में चिन्ताजनक वृद्धि को टालने के लिए किए जा रहे प्रयासों को गहरी ठेस पहुंच रही है। झूठी, ग़लत जानकारी के ऑनलाइन माध्यमों पर तेज़ी से फैलने की वजह से जलवायु संकट के प्रति भ्रम की स्थिति पनप सकती है और इससे जलवायु कार्रवाई पर प्रगति पटरी से उतरने का जोखिम है।
कॉप सम्मेलन में जुटे प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपायों पर तो चर्चा कर ही रहे हैं, वास्तविक स्थिति व तथ्यों की लड़ाई भी उतनी अहम हो गई है, जितना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती लाने की क़वायद है। यह इसलिए भी ज़रूरी है चूंकि डिसइन्फ़ॉर्मेशन को यदि बढ़त मिलती है तो फिर दुनिया के समक्ष न केवल समय खोने का जोखिम है, बल्कि भरोसा भी दरक सकता है।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने उदघाटन सत्र में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि कॉप30 सम्मेलन में उन लोगों को नए सिरे से पराजित करना होगा, जो जलवायु परिवर्तन को नकारते हैं। बुधवार को ब्राज़ील, कैनेडा, फ़्रांस, जर्मनी और स्पेन समेत 12 देशों ने जलवायु परिवर्तन के विषय में पहले सूचना सत्यनिष्ठा घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और झूठी सामग्री की बाढ़ को रोकने का संकल्प जताया है।
साथ ही सच्चाई की लड़ाई में अग्रिम पांत में मौजूद पत्रकारों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की रक्षा करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की है। इस घोषणा पत्र में जलवायु सम्बन्धी अनर्गल प्रलापों, झूठे तथ्यों को नकारने और तथ्य-आधारित आवाज़ों को उत्पीड़न व हमलों से बचाने के लिए ठोस क़दम उठाने की पुकार लगाई गई है।
ब्राज़ील में डिजिटल नीतियों के सचिव योआओ ब्रांट ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य, सच्चाई की एक लहर को तैयार करना है। ब्राज़ील, यूएन के वैश्विक संचार विभाग और संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की साझेदारी में इस साझेदारी को जून में पेश किया गया था।
डिसइन्फ़ोर्मेशन : कॉप30 के लिए ख़तरा
यूनेस्को गिलहर्मे कनेला ने यूएन न्यूज़ के साथ बातचीत में बताया कि यह पहली बार है कि सूचना सत्यनिष्ठा (Information Integrity) को कॉप सम्मेलन के आधिकारिक एजेंडा में जगह मिली है और यह एक अहम पड़ाव है। उन्होंने कहा कि इस वैश्विक पहल का लक्ष्य उस मशीनरी को उजागर करना है, जिसका इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन के बारे में झूठ व भ्रामक जानकारी को फैलाने में किया जाता है।
हमें अब भी बहुत अधिक जानकारी नहीं है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है। उदाहरण के लिए इन सन्देशों को कौन प्रायोजित करता है और अन्य सामग्री की तुलना में ये इतनी तेज़ी से क्यों फैलती हैं? अगर हम इस तंत्र को नहीं समझेंगे तो इस समस्या से मुक़ाबले के लिए कारगर रणनीतियों को तैयार कर पाना कठिन होगा।
इस पहल के तहत खोजी पत्रकारिता और शोध परियोजनाओं के लिए वित्तीय समर्थन मुहैया कराने पर बल दिया गया है, ताकि वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सके। जलवायु परिवर्तन पर सूचना सत्यनिष्ठा वैश्विक कोष के लिए अब तक 100 देशों से 447 प्रस्ताव मिल चुके हैं और ब्राज़ील ने 10 लाख डॉलर की आरम्भिक धनराशि प्रदान की है। परियोजनाओं के पहले दौर में विकासशील देशों पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाएगा।
भ्रामक जानकारी के बदलते तौर-तरीक़े
यूएन की वैरिफ़ाइड मुहिम की चैम्पियन और मारियास वैर्डेस प्लैटफॉर्म की सह-संस्थापक मारिया क्लारा मोरेस ने इस समस्या को गहराई तक परखा है। उनके पास 10 लाख से अधिक टिकटॉक फ़ॉलोअर हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु मुद्दे पर डिसइन्फ़ोर्मेशन के विरुद्ध लड़ाई पूरी तरह से सम्भव है, लेकिन इसमें चुनौतियां बहुत हैं।
अक्सर ऐसी मुहिम बहुत संगठित तरीक़े से चलाई जाती हैं और उन्हें बड़ी शक्तियों का समर्थन प्राप्त होता है, विशेष रूप से जीवाश्म ईंधन उद्योग जगत का। उनके द्वारा धकेले जाने वाले वृतान्त, तर्क समय के साथ अपना चेहरा बदलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि कई प्रकार की भ्रामक जानकारियां फैलाई जाती हैं। जैसे कि अब बहुत देर हो चुकी है, अब कुछ नहीं हो सकता है और कॉप30 जैसे आयोजनों से बदलाव नहीं होगा।
इसके मद्देनज़र हमें बार-बार बहुपक्षवाद के मूल्य को मज़बूती देते रहना होगा और ऐसे कार्यक्रमों की अहमियत को दर्शाना होगा। मारिया क्लारा मोरेस के अनुसार, चुनौतियों के बावजूद उन्हें युवा पीढ़ी में आशा नज़र आती है। विज्ञान और सततता की ज़मीन पर तैयार हुई सामग्री के ज़रिए जलवायु आपात स्थिति के बारे में जागरुकता का तेज़ी से प्रसार हो रहा है।