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Last Modified: सोमवार, 10 नवंबर 2025 (17:46 IST)

Gujarat में ISIS आतंकियों के पास से मिला बायोकैमिकल वैपन Ricin कितना घातक, कैसे होता है इस्तेमाल

रिसिन (Ricin) नाम के रासायनिक जहर का इस्तेमाल करने की साजिश थी। इसकी एक छोटी सी मात्रा से भी इंसान की जान जा सकती है।

Gujarat ATS
RICIN it is one of the most dangerous poison in the world : गुजरात एटीएस ने ISIS से जुड़ी एक बड़ी आतंकी साजिश का खुलासा किया है।  गुजरात एंटी टेरेरिस्ट स्क्वैड (ATS) ने ISIS आतंकी संगठन से जुड़े 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें हैदराबाद का 35 साल का डॉक्टर अहमद  मोहिउद्दीन सैयद भी शामिल है। इसके पास से रिसिन (Ricin) नामक जहर मिला है। इसमें रिसिन (Ricin) नाम के रासायनिक जहर का इस्तेमाल करने की साजिश थी। इसकी एक छोटी सी मात्रा से भी इंसान की जान जा सकती है।
रिसिन जहर से बायोवैपन के हमले की तैयारी 
सैयद अहमद मोहिउद्दीन ने चीन से एमबीबीएस किया है। वह भारत एक ऐसी आतंकी गतिविधि को अंजाम देना चाहता था जिससे भारी नुकसान हो। ATS के मुताबिक यह डॉक्टर रिसिन को बायो-वेपन के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहा था। पिछले 6 महीनों में यह दिल्ली की दिल्ली की सबसे बड़ी मंडियों में शुमार आजादपुर मंडी, अहमदाबाद की नरोदा फल मंडी और लखनऊ के आरएसएस कार्यालय के पास भी गया था। एक बड़े आतंकवादी हमले को अंजाम देने के लिए डॉक्टर रिसिन जहर तैयार कर रहा था। उसने रिसिन नामक एक रासायनिक जहर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की, जो अरंडी के बीजों के प्रसंस्करण से बचे अपशिष्ट पदार्थ से बनाया जा सकता है। वह हथियार की डिलीवरी लेने अहमदाबाद आया था। यह डिलीवरी उसे कलोल से मिली थी।
 
अरंडी के बीजों से निकलता है खतरनाक जहर 
अमेरिका की क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक रिसिन (Ricin) एक जहरीला प्रोटीन है, जो अरंडी के बीजों से निकलता है। यह एक तरह का जहर है, जिसे कई बार क्रिमिनल एक्टिविटी में इस्तेमाल किया जा चुका है। रिसिन बेहद जहरीला होता है और यह शरीर के अंदर पहुंचकर प्रोटीन सिंथेसिस को रोक देता है, जिससे कोशिकाएं मरने लगती हैं और ऑर्गन फेलियर का खतरा बढ़ जाता है। 
इन तरीकों से शरीर में पहुंचता है 
रिसिन शरीर में 3 तरीकों से पहुंच सकता है। अगर कोई व्यक्ति अरंडी के बीज चबाकर निगल ले, तो यह जहर शरीर में पहुंच सकता है। किसी फल या सब्जी पर यह लगा हो, तो उसे खाने से भी यह शरीर में पहुंच सकता है। अगर यह हवा में फैल जाए तो सांस के जरिए शरीर में घुस सकता है। इसे सीधे शरीर में इंजेक्ट किया जा सकता है। Edited by : Sudhir Sharma
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