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Last Modified: गुंटूर (आंध्र प्रदेश) , शुक्रवार, 12 जुलाई 2024 (17:35 IST)

आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज

YS Jagan Mohan Reddy
Attempt to murder case filed against YS Jagan Mohan Reddy : पुलिस ने तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के एक विधायक की शिकायत पर पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी, भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएएस) के 2 वरिष्ठ अधिकारियों और 2 सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया है। इस संबंध में उंडी विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक के. रघुराम कृष्ण राजू ने शिकायत दर्ज कराई थी।
एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। इस संबंध में उंडी विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक के. रघुराम कृष्ण राजू ने शिकायत दर्ज कराई थी। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी के अलावा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीवी सुनील कुमार और पीएसआर सीतारमणजनेयुलु तथा सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी आर. विजय पॉल और गुंटूर सरकारी अस्पताल की पूर्व अधीक्षक जी प्रभावती के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
 
ई-मेल के जरिए पुलिस को शिकायत भेजी : उन्होंने कहा, राजू ने एक माह पहले ई-मेल के जरिए पुलिस को शिकायत भेजी थी और कानूनी परामर्श लेने के बाद मैंने बृहस्पतिवार शाम सात बजे पूर्व मुख्यमंत्री तथा अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। अधिकारी ने बताया कि राजू ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें हिरासत में यातना दी गई।
 
पुलिस ने पांचों आरोपियों के खिलाफ गुंटूर के नगरमपालम थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 166, 167, 197, 307, 326, 465 और 506 के साथ धारा 34 के तहत मामला दर्ज किया है। चूंकि मामला तीन साल पुराना है, इसलिए पुलिस ने भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया है।
 
तेदेपा नेता राजू की 2021 की गिरफ्तारी का मामला आंध्र प्रदेश में तब सामने आया जब उन्होंने रेड्डी और कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ 10 जून को शिकायत दी। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनके खिलाफ आपराधिक साजिश रची।
 
झूठा मामला दर्ज किया : राजू ने अपनी शिकायत में कहा कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार और सीतारमणजनेयुलु, पुलिस अधिकारी विजय पॉल और सरकारी चिकित्सक जी प्रभावती उस साजिश का हिस्सा थे। उन्हें मई 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गिरफ्तार किया गया था। राजू ने शिकायत में आरोप लगाते हुए कहा, आंध्र प्रदेश सरकार के अपराध जांच विभाग (सीबीसीआईडी) ​​ने मेरे खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया।
राजू ने कहा, मुझे बिना किसी उचित प्रक्रिया के 14 मई 2021 को गिरफ्तार किया गया, धमकाया गया, अवैध रूप से पुलिस वाहन के अंदर खींचा गया और उसी रात जबरन गुंटूर ले जाया गया। जब राजू को गिरफ्तार किया गया कुमार सीआईडी प्रमुख व सीतारमणजनेयुलु खुफिया विभाग के मुखिया थे जबकि पॉल सीआईडी के एएसपी और रेड्डी मुख्यमंत्री थे।
 
विधायक ने कहा कि हालांकि गिरफ्तारी से कुछ सप्ताह पहले उनकी ‘ओपन हार्ट’ सर्जरी हुई थी। राजू ने दावा किया कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री (जगन) की आलोचना करने के कारण उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। 
 
न मेडिकल जांच कराई, न उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया : नरसापुरम से युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद रहे राजू ने दावा किया, मुझे बिना किसी उचित प्रक्रिया के गिरफ्तार किया गया। न मेडिकल जांच कराई, न उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया। मुझे रात नौ बजकर 30 मिनट से (14 मई, 2021) गुंटूर के सीबीसीआईडी ​​कार्यालय में रखा गया। सर्जरी होने के बावजूद मुझे मेरी दवा नहीं दी गई।
 
एक सप्ताह बाद मिली जमानत : राजू ने यह भी आरोप लगाया कि जब मजिस्ट्रेट ने उन्हें गुंटूर सरकारी जनरल अस्पताल भेजा तो अस्पताल की तत्कालीन अधीक्षक प्रभावती ने सुनील कुमार के साथ मिलकर झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार की कि उन्हें कोई चोट नहीं लगी। उन्होंने कहा कि पुलिस की बर्बरता के कारण मुझे गुंटूर से सिकंदराबाद सैन्य अस्पताल में स्थानांतरित किया गया। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह हुआ और बाद में मुझे न्यायालय ने जमानत दे दी। राजू ने कहा कि एक सप्ताह बाद जमानत मिली।
 
पुराने मामले में नई प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है : अपनी शिकायत में राजू ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की। अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर प्रतिक्रिया देते हुए सुनील कुमार ने हैरानी जताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अस्वीकार किए गए तीन साल पुराने मामले में नई प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है।
सुनील कुमार ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, मैं यह बात समझने के लिए आपके विवेक पर छोड़ता हूं कि उस मामले में फिर से प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है जिसे तीन साल की सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय ने पहले ही खारिज कर दिया है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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